Ikigai

Goswami, Raj · Prabhat Prakashan

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Reseña del libro

'इकिगाई' अर्थात् क्या? जापानी शब्द इकी अर्थात् जीवन और गाई अर्थात् उद्देश्य। ये दोनों शब्द मिलाकर बनता है 'इकिगाई'। इकिगाई को तीन तरह से समझा जा सकता है- 1. जीवन का हेतु 2. सुबह जागने का उद्देश्य 3. व्यस्त रहने का सुख शायर निदा फाजली का एक शेर है- 'कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता कहीं जमीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता' जीवन में हरेक को हर वस्तु नहीं मिलती है, परंतु जो भी वस्तु मिली हो, उसमें ही सुख ढूँढ़ना-यही है सच्ची इकिगाई! 'इकिगाई' का उपयोग करने के लिए कोई रॉकेट साइंस पढ़ने की जरूरत नहीं है। अपनी खूबियाँ और अपनी गलतियों को पहचानना, स्वीकार करना, अपने आप को दूसरे लोगों के साथ और प्रकृति के साथ लगाव पैदा करना तथा छोटी-बड़ी चीजों में से सुख ढूँढ़ना जैसे सामान्य प्रयत्न आपको स्वस्थ और सुखी जीवन देंगे। अपनी कमजोरियों को पहचान कर वांछित सुधार करके जीवन को सार्थक और समृद्ध बनाने की कारगर पद्धति है इकिगाई!

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