Prem Diwani (प्रेम द व ) (en Hindi)

Bhatnagar, Rajendra Mohan · Diamond Books

Ver Precio
Envío a toda Colombia

Reseña del libro

प्रेम का एक रंग होता है, एक भाव और एक दिशा। उस पर दूजा रंग नहीं चढ़ सकता। फिर मीरा पर कैसे चढ़ता ! वह तो प्रेम दीवानी थी।मीरा ने हृदय में डूबकर उसकी गहराई से ऐसा गाया कि वह अमृत वाणी गा उठा।मीरा ने जो गाया, जिसके लिए गाया, वह उसमें ऐसा डूबकर गाया कि उसमें और मीरा में कोई भेद ही नहीं रहा। मीरा उसकी होकर रह गई। उसने अपने को भुला दिया। उसे अपनी सुध-बुध ही नहीं रही।दीवानापन पगला देता है। एक बार देखो कृष्ण के प्रेम का ऐसा दीदार करके, तो फिर किसी अन्य का दीदार करने की चाह ही नहीं रहेगी।अपनी चाह को किसी दूसरों की चाह बना देना प्रेम की पराकाष्ठा है। मीरा में वह थी। मीरा ने गाया है कि "हेरी, मैं तो प्रेम दीवानी, म्हारा दर्द न जाने कोय," वह उसने अन्त करके अन्यतम गहराइयों में उतर कर गाया, जहां उसके अलावा कोई दूसरा नहीं।वास्तव में मीरा प्रेम की ऐसी पुजारिन है कि उससे समग्र प्रेम की गहनतम अनुभूति होने लगती है कि समर्पण भाव साकार हो उठता है।

Opiniones del Libro

Opiniones sobre Buscalibre

Ver más opiniones de clientes