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Jannayak Tantya Bheel (en Hindi)
Bhand Baba
(Autor)
·
Prabhat Prakashan
· Tapa Dura
Jannayak Tantya Bheel (en Hindi) - Baba, Bhand
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Reseña del libro "Jannayak Tantya Bheel (en Hindi)"
मराठा शासन का अंत वर्ष 1818 में हुआ, लेकिन उस समय सतपुड़ा के बहादुर भीलों ने अनेक वर्षों तक अंग्रेजों से गुरिल्ला लड़ाई की। सतपुड़ा, सातमाला, अजिंठा के पर्वतों के अनेक भील वीरों ने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया। उनमें सातमाला के भागोजी नाइक, सतपुड़ा के कजरसिंग नाइक, भीमा नाइक और तंट्या भील का संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कुछ स्वर्णिम पृष्]ठ हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की तरह इन आदिवासी विद्रोहियों का इतिहास भी महत्त्वपूर्ण है। शक्]त]िशाली ब्रिटिश सत्ता की ग्यारह सालों तक नींद उड़ा देनेवाले तंट्या भील अंग्रेजों की दृष्]ट]ि में एक डाकू था; लेकिन सौ साल पहले आदिवासियों व किसानों को साहूकार और जुल्मी सरकार के खिलाफ विद्रोह की प्रेरणा देनेवाला तंट्या असाधारण ही होगा। आदिवासी और किसानों की क्रांति का पहला नायक तंट्या था। उसने सतपुड़ा के दोनों भागों-खानदेश और नर्मदा घाटी-के आदिवासियों और किसानों में राष्]ट्रीयता की भावना जगाई। महाराष्]ट्र के लोग अब तक तंट्या को आदिवासी नायक के रूप में नाटक और लोकगीतों के माध्यम से ही जानते थे। इस आसाधारण जननायक के चरित्र का यह लेखन एक प्रकार से इतिहास का ही पुनर्लेè
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
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